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गीत [बाल साहित्य] - जसविंदर धर्मकोट

नन्ही चिड़िया तू तराना गाये जा...
इस जीवन का क्या है राज बताए जा

नन्ही चिड़िया तू तराना गाये जा..
कैसे नभ को अपना कहना आता है
गम की धूप को कैसे सहना आता है
तिनके-तिनके से बनता जो आशियाँ
अपनों से वो घर कैसे बन जाता है
गम मेँ खुशियोँ का अफसाना गाये जा
नन्ही चिड़िया तू तराना गाये जा…

कैसे धरती आसमान से मिलती है
फूल की पहली पत्ती कैसे खिलती है
पानी की चुनरी ओढे ये बादल क्यों
लहर की गोद में नैया कैसे ठिलती है
चाँद का जमीं से मिलने आना गाये जा
नन्ही चिड़िया तू तराना गाये जा..

हर मौसम की अपनी- अपनी परिभाषा
हर इक जीव की अपनी- अपनी अभिलाषा
कुदरत का ये नियम समझले तू पगले
आज निराशा है तो कल होगी आशा
रंगों से अपनी तस्वीर सजाए जा
नन्ही चिड़िया तू तराना गाये जा..

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