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होली का हुड़दंग [कविता] - डॉ. वेद व्यथित

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शिल्पी जी पर मच गया होली का हुड़दंग
राजू भैया पी गये कम्पुटर की भंग
कम्पुटर की भंग खूब सागर ने छानी
यदव जी ने खूब चली इ की पिचकारी
और महेंद्र जी ने चोखा रंग जमाया
कहा २ कर उन के गुब्बारे सब का मन हर्षाया


 डॉ. वेद 'व्यथित' रचनाकार परिचय:-



9 अप्रैल, 1956 को जन्मे डॉ. वेद 'व्यथित' (डॉ. वेदप्रकाश शर्मा) हिन्दी में एम.ए., पी.एच.डी. हैं और वर्तमान में फरीदाबाद में अवस्थित हैं। आप अनेक कवि-सम्मेलनों में काव्य-पाठ कर चुके हैं जिनमें हिन्दी-जापानी कवि सम्मेलन भी शामिल है। कई पुस्तकें प्रकाशित करा चुके डॉ. वेद 'व्यथित' अनेक साहित्यिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं।

दर्शक जी को क्या कहूँ बहुत २ अहसान
रोज २ जो मरते प्रेम भिगोये बाण
प्रेम भिगोये बाण साथ में नेह भेजते
लेखक जिस से हो जाते हैं फूल के कुप्पे
उन का ही आभार असल में करना चहिये
होली में बहु रंग उन्ही पर पड़ना चाहिए

अविनाश जी रंग गये नीले पीले रंग
चहेरा उन हो गया होली में बहुरंग
होली में बहुरंग हुए ही घर जा पहुंचे
घर वालों ने पूछा आये किस से मिलने
भाभी जी बोली भइया वे बाहर गये हैं
मिलने आना कल आज वे घर में नही है

ननुआ ने तो भंग चढाई धोती फाड़ी ललुआ ने
कर रुमाल धुतिया के भैया ताल लगे कलुआ ने
दिल्ली गूंजी सब जग गूंजा खूब सुने अगुआ ने
बड़ी में के गिर चरणों में धोक लगाईं मनुआ ने

चीनी मिल रही पांच रुपया कडुआ तेल मुफ्त में है
डाल मिल रही दो दो रुपया रोटी संग मुफ्त में है
कैसा सुंदर राज है भैया होली खूब मनाओ जी
हाथों को मलते रह जाओ लाली खूब मुफ्त में है

डॉ.वेद व्यथित

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3 टिप्पणियाँ

  1. चीनी मिल रही पांच रुपया कडुआ तेल मुफ्त में है
    डाल मिल रही दो दो रुपया रोटी संग मुफ्त में है
    कैसा सुंदर राज है भैया होली खूब मनाओ जी
    हाथों को मलते रह जाओ लाली खूब मुफ्त में है ..

    क्या बात है...होली है...............

    जवाब देंहटाएं
  2. bndhu rajeev ji aap ne mn gdgd kr diya smrityan pun hridy ptl pr sakar ho uthin bhut sukhd lgaa aap ki yhan anupsthiti bahut salti hia kbhi sb mitron ko ektr kren
    yh rchna lgane ke liye hardik aabhar
    dr ved vyathit

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय वेद सर..
    मजा आ गया आपकी कविता पढ कर...
    होली है............

    जवाब देंहटाएं

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