करता रहा वह
और धीरे-धीरे
सेलिब्रेटी बन गया
तो क्या
अनाथालय के उदघाटन में
फीता काटने के
योग्य हो गया ?
चुनाव में
कातिलों की फेहरिस्त में
होता है उसका भी नाम
और वह जीत जाता है
चुनाव हर बार।
लोग उसे रहनुमा समझकर
उसके असली जन-प्रतिनिधि
होने के दावे को बल देते हैं
और
उसकी पार्टी उसे
भावी राष्ट्र-निर्माता बताती है
तंत्र मुश्किल से
निकाल पाता है
एक भी गवाह
उसके खिलाफ
निचली और उच्च अदालतें
बेबस होकर देती है
क्लीन-चिट
फैसला आने तक
मामला सुप्रीम कोर्ट में है
और हम कटघरे में
जो उसे हत्यारा समझते हैं!
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रचनाकार परिचय
जन्म - 1978, झारखण्ड के हजारीबाग में |
शिक्षा - स्नातक 1999 में (दिल्ली विश्वविद्यालय से), समाज सेवा में स्नातकोत्तर जारी |
ग्यारह वर्षों से सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्यरत | लम्बे समय तक एच.आई.वी. / एड्स जागरूकता के लिए उच्य जोखिम समूह (यौन कर्मियों, समलैंगिकों व ट्रकर्स) के साथ कार्य का अनुभव | साथ ही साथ जन सरोकार के मुद्दों के साथ सक्रियता से जुड़कर काम करते रहे हैं | वर्तमान में दिल्ली स्थित एन. जी.ओ. कंसल्टेंसी कंपनी गोल्डेन थाट कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ चीफ कंसल्टेंट के रूप में कार्यरत है और कई सामाजिक, सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं (जैसे यूनिसेफ, नाको, वी.वी.गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान, श्रमिक शिक्षा बोर्ड आदि) के साथ प्रशिक्षक, मूल्यांकनकर्ता व सलाहकार के रूप में जुडाव |
पता : ए-26/ए, पहली मंजिल, पांडव नगर, मदर डेरी के सामने, दिल्ली-110092
ई-मेल : goldenthoughtconsultants@gmail.com
3 टिप्पणियाँ
अपराधियो को महिमामन्डित करने से मीडिआ को बचना ही होगा
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..संवेदनशील कविता।
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में सुशील कुमारजी ने काफ़ी कुछ कह दिया के "निचली और उच्च अदालतें बेबस होकर देती है उन्हें क्लीन-चिट" इस छोटी पक्ति ने सत्य को सामने ला दिया! इसके लिए जिम्मेवार है, मीडिया! जिसे "विज्ञापन" रुपी लोलीपोप, सत्ता-सीन दल की सरकार थमा देती है!
जवाब देंहटाएं- दिनेश चन्द्र पुरोहित ई मेल dineshchandrapurohit2@gmail.com
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